|आरुषि-हेमराज हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के जांच अधिकारी ने गाजियाबाद की एक अदालत में बुधवार को स्वीकार किया कि उन्हें इस तरह के किसी चिकित्सकीय उपकरण की जानकारी नहीं है जिसका इस्तेमाल पीड़ितों का गला रेतने में किया जा गया हो। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस. लाल के समक्ष जिरह के दौरान सीबीआई अधीक्षक ए. जी. एल. कौल ने कहा कि जांच एजेंसी ने शंका जताई थी कि 2008 में हुई इस हत्या में किसी तरह के चिकित्सकीय उपकरण का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इस तरह का कोई उपकरण देखा या पाया गया था।
कौल ने बताया कि दुर्घटनास्थल के पराबैंगनी प्रकाश परीक्षण में के दौरान इस तरह का कोई साक्ष्य नहीं मिला जिससे कहा जा सके कि खून के धब्बे हटाए गए थे या धुले गए थे।
जांच अधिकारी ने मंगलवार को अदालत के समक्ष कहा कि परिस्थितियों के आधार पर उन्हें पूरा विश्वास है कि दंत चिकित्सक दंपत्ति, नूपुर और राजेश तलवार, ने ही अपनी 14 वर्षीया बेटी आरुषी की हत्या की है।
बचाव पक्ष के वकील मनोज सिसौदिया के साथ जिरह के दौरान बुधवार को कौल ने स्वीकार किया कि वह इससे पहले मामले में प्रस्तुत किए गए अंतिम रिपोर्ट के पक्ष में हैं कि आरुषी के परिजनों पर लगे आरोपों को साबित करने के लिए कोई सुबूत नहीं है।
सीबीआई अधीक्षक ने कहा कि चूंकि तलवार दंपत्ति के खिलाफ कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं था अत: जांच एजेंसी अपना अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए बाध्य हुई।
उन्होंने कहा कि जब अदालत को लगा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, तो जांच एजेंसी ने अपने तर्को के पक्ष में और विवरण प्रस्तुत किए।
अदालत इस मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रखेगी।