नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से दायर एक अर्जी पर तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के एक नेता को नोटिस जारी किया है। सरकार ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा अमरावती भूमि अधिग्रहण मामले में दिए गए स्टे (स्थगनादेश) को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी के साथ ही न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसआईटी जांच की बहाली से संबंधित याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले को चार सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
आंध्र प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने पीठ के समक्ष दलील दी कि हाईकोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित कानूनों से बंधा हुआ है और उसके पास अपनी मर्जी से कोई भी अतिरिक्त आदेश पारित करने की शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में एक जांच और यहां तक कि पंजीकरण पर भी रोक लगा दी। दवे ने कहा, "क्या इसकी अनुमति दी जा सकती है?"
दवे ने दलील दी कि राज्य सरकार पूरी तरह से निष्पक्ष है और उसने केंद्र को पत्र लिखकर मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। दवे ने शीर्ष अदालत से अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील पर नोटिस जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "केंद्र को सीबीआई जांच की मांग करने वाले पत्र का जवाब देना बाकी है।"
पीठ ने दवे से पूछा कि क्या जगन मोहन रेड्डी सरकार ने पिछली तेदेपा सरकार के सभी फैसलों की समीक्षा करने का फैसला किया है? इस पर दवे ने जवाब दिया, "बिल्कुल नहीं, केवल उन मामलों में जहां घोर अनियमितताएं पाई गईं।"
शीर्ष अदालत ने तेदेपा नेता वरला रामैया को नोटिस जारी किया है।
--आईएएनएस
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